जातिगत जनगणना कई कारणों से जरूरी होती है। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
1. सामाजिक न्याय: जातिगत जनगणना जातियों और समुदायों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की पहचान करने में मदद करती है। यह जानकारी सरकार को उन वर्गों को पहचानने और समाधान करने की संभावना देती है जिन्हें सबसे अधिक समर्पिती की जरूरत होती है।
2. आरक्षण नीति: जातिगत जनगणना आरक्षण नीति के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आरक्षण के लिए योग्य वर्गों की पहचान करने और उन्हें संख्यात्मक आंकड़े प्रदान करने में मदद करती है, जिससे वे समाज की असमानताओं को सुधारने और न्यायपूर्ण वितरण की सुनिश्चित करने के लिए उचित आरक्षण योजनाएं बना सकें।
3. योजनाबद्धता: जातिगत जनगणना सरकारी योजनाओं की योजनाबद्धता में मदद करती है। यह आंकड़े उपलब्ध कराने और आपातकालीन योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल
्याण कार्यक्रमों को योजनाबद्ध ढंग से चलाने में मदद करती है। इससे सरकार आंकड़े के आधार पर आर्थिक योजनाओं को समर्थित कर सकती है और आपातकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों को प्राथमिकता दे सकती है।
4. नीति निर्माण: जातिगत जनगणना जातिगत अनुपात, जातिगत समानता और विभाजन के आधार पर न्यायान्य आर्थिक योजनाओं का निर्माण करने में मदद करती है। यह आंकड़े सरकार को उचित नीति निर्माण करने और समाज के सबसे कमजोर और संघर्ष कर रहे वर्गों को सहायता प्रदान करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
इन कारणों से जातिगत जनगणना जरूरी है ताकि सरकार समाज में समानता, न्याय और विकास को सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्रवाई कर सके।